|
Image taken from pixabay.com |
हेलो मेरे दोस्तों कैसे हो आप सब तो स्वागत है आप सभी का एक और नए आर्टिकल में आज के इस आर्टिकल में हम बात करने वाले हैं लाइफ इंश्योरेंस के बारे में लाइफ इंश्योरेंस क्या है, कैसे लेते हैं तथा इससे जुड़े हर एक चीज के बारे में आज मैं आपको बताने वाला हूं।
लाइफ इंश्योरेंस यह शब्द हम नॉर्मल बातों के लिए बोलते हैं पर कॉमन हेल्थ नेशन इसे लाइफ एस्योरेंस बोलता है। तो यह हमारे बोलचाल का तरीका है । लाइफ इंश्योरेंस एक दस्तावेज है जो कि
इंश्योरेंस पॉलिसी होल्डर मतलब इंश्योरेंस लेने वाला व्यक्ति तथा
इंश्योर यानी वह कंपनी जो यह पॉलिसी देती है इनके बीच होती है जहां पर इंश्योरेंस देने वाले कंपनी इंश्योरेंस लेने वाले वक्ति के साथ कुछ रकम तय करते हैं जोकि इंश्योरेंस लेने वाले व्यक्ति के मृत्यु के बाद उसके परिवार वालों को मिल जाता है। यह पॉलिसी आपके दस्तावेज के हिसाब से काम करती है तथा और भी कई तरीके है जैसे टर्मिनल इलनेस अगर किसी बीमारी से आप की मृत्यु हो जाती है या फिर क्रिटिकल इलनेस यानी आप किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हो उस वक्त यह पॉलिसी आपके लिए लागू हो जाती है। इस पॉलिसी के कुछ नियम होते हैं पॉलिसी लेने वाला व्यक्ति को रोजाना महीना के हिसाब से कुछ छोटे रकम तय करके पॉलिसी कंपनी को जमा करने होते हैं। इसमें कई से ऐसे भी सुविधा आपको मिलती है जैसे अगर आपका कोई नहीं है तो मृत्यु के बाद कंपनी की तरफ से आपके क्रिया कर्म का भी सुविधा प्रदान किया जाता है। लाइफ इंश्योरेंस एक लीगल दस्तावेज है और इसके कुछ लिमिटेशंस भी है जैसे यह कॉन्ट्रैक्ट उस वक्त खारिज हो जाती है अगर आप कंपनी के साथ धोखाधड़ी, आत्महत्या, जंग तथा लोगों को इकट्ठा करके भड़काने और कोशिश करते हो तो उस वक्त आपकी दस्तावेज को खारिज कर दिया जाता है और जमा किए गए सभी रकम लीगल प्रोसेस द्वारा कंपनी के हो जाती है ऐसे में अगर आप कुछ भी करते हो तो आप पर सरकारी कार्यवाही नहीं होती है तथा आपको जुर्माना भी भरना पड़ेगा। यह पॉलिसी तभी काम करती है अगर आपकी मृत्यु किसी अकाल कारण हो गई हो या फिर किसी गंभीर बीमारी तथा किसी हादसा मे। साथी कंपनी पूरी तरह मेडिकल जांच प्रक्रिया भी कराती है ताकि पुष्टि हो जाएगी आपकी मृत्यु का कारण क्या था और फिर यह अपनी पॉलिसी के तहत जमा किए गए रकम आपके परिवार को देती है।
लाइफ इंश्योरेंस दस्तावेज़ दो भागों में बटा हुआ है :
• protection policy -
इस पॉलिसी के बारे में मै आपको पहले ही बता चुका हूं। इस पॉलिसी का जमा किया गया रकम पॉलिसी लेने वाले व्यक्ति के काम अक्सर नहीं आता है और आता भी है तो केवल एक हालात में अगर वह व्यक्ति अस्पताल में किसी बीमारी द्वारा या किसी हादसा द्वारा अपनी आखिरी सांसें गिन रहा हों। यह पॉलिसी लोग खास करके अपने परिवार के लिए तथा अपने बुरे दिन के सहारे लिए लोग लेते हैं।
• Investment policy -
यह यह पॉलिसी प्रोटेक्शन पॉलिसी के मुकाबले काफी अलग है। इन्वेस्टमेंट पॉलिसी में लोग जो दस्तावेज साइन करते हैं उसमें उनके जीवन मरण से जुड़ी कोई भी डील नहीं होती है। इन्वेस्टमेंट पॉलिसी में लोग अपना रकम इन्वेस्ट करते हैं और यह पॉलिसी काम कुछ इस तरह से करती है इसमें भी आपको रेगुलर के हिसाब से कुछ छोटे-छोटे रकम तय करने होते हैं या फिर एक बड़ा रकम एक ही बार में जमा करते है। जब कंपनी का कैपिटल बढ़ेगा तब आपका जमा किया गया रकम भी पड़ता है और यह पॉलिसी यह कह दे कि हम होल लाइफ काम करती है। कई बार इसमें इंश्योरेंस होल्डर कंपनी तुम्हारा एक सीमित समय तय करता है उस सीमित समय में जमा किए गए रकम का रोजाना ब्याज के हिसाब से दिया जाता है और जब उसका तय किया गया समय खत्म हो जाता है तो उस वक्त उसे उसका सारा जमा किया गया रकम ब्याज समेत वापस दे दिया जाता है। ऐसे में उस व्यक्ति की जमा की गई रकम 7 से 8 गुना बढ़ जाती है।
तुझे थे लाइफ इंश्योरेंस और उससे जुड़ी दो पॉलिसिया। तुम्हें आशा करता हूं आप सभी को इसके बारे में समझ में आ गई होगी तो जाने से पहले नीचे एक प्यारा सा कमेंट का रिएक्शन दे देना धन्यवाद।